Mansur Al hallaj ( मंसूर अल हल्लाज )
परिचय - मनसूर अल हल्लाज का जन्म बैज़ा के निकट तूर ( फारस ) में हुआ। ये पारसी से मुसलमान बना था । अरबी में हल्लाज का अर्थ धुनिया होता है - रूई को धुनने वाला। इसने कई यात्राएं कीं - ३ बार मक्का की यात्रा की। ख़ुरासान , फ़ारस और मध्य एशिया के अनेक भागों तथा भारत की भी यात्रा की। वास्तविक इतिहास - परमात्मा कबीर जी अपने सिद्धांत अनुसार एक अच्छी आत्मा समशतरबेज मुसलमान को जिंदा बाबा के रूप में मिले थे। उन्हें अल्लाहू अकबर (कबीर परमात्मा) यानि अपने विषय में समझाया, सतलोक दिखाया, वापिस छोड़ा। उसके पश्चात् कबीर परमात्मा यानि जिंदा बाबा नहीं मिले। उसे केवल एक मंत्रा दिया ‘‘अनल हक’’ जिसका अर्थ मुसलमान गलत करते थे कि मैं वही हूँ यानि मैं अल्लाह हूँ अर्थात् जीव ही ब्रह्म है। वह यथार्थ मंत्रा ‘‘सोहं’’ है। इसका कोई अर्थ करके स्मरण नहीं करना होता। इसको परब्रह्म (अक्षर पुरूष) का वशीकरण मंत्रा मानकर जाप करना होता है। समशतरबेज परमात्मा के दिए मंत्रा का नाम जाप करता था। उसका आश्रम एक शहर के बाहर बणी में था। उस नगरी के राजा की एक ल...