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Showing posts from July, 2020

ईद / रमजान

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#तुम_मांस_खाकर_पशु_पक्षियों_की_कब्र_पेट_में_मत_बनाओ!  आज कुछ मुस्लिम बहनों से बात हुई, हंसते हुए बता रहीं थीं कि, “शाम को इफ्तार के समय हम कुछ भी खा सकते हैं”। खाने पीने में कोई परहेज़ नहीं है भले ही, मांस पका कर खा लो। परंतु मांस खाने का आदेश #अल्लाह का नहीं है। न ही कुरान शरीफ़ में इसके खाने का ज़िक्र अल्लाह ने स्वयं किया। जो वेद या ग्रंथ मांस खाने को कहे वह परमात्मा का ज्ञान हो ही नहीं सकता। ऐसा तो केवल कोई शैतान ही ज़बरदस्ती करवाता है। आपको बता दें कि मुसलमानों की सबसे पवित्र पुस्तक #कुरान है जिसे पूरा मुस्लिम समाज मानता है।महत्वपूर्ण बात यह है कि परमात्मा ने इसमें मांस खाने का कहीं कोई आदेश नहीं दिया ना ही लिखवाया। मांस खाने का आदेश #जिब्राइल_फरिश्ते का था जिसे मुस्लिम भाई परमात्मा का फरमान मान बैठे और पाप के गर्त में डूब गए। पूरे दिन भूखे प्यासे रह कर पांच वक्त की नमाज़ पढ़ते हुए अल्लाह से अपने #गुनाहों_की_माफ़ी मांगते हो। शाम को पेट भरने और जीभ के स्वाद के लिए जानवर को #हलाल करके पका कर खाते हो। सुबह माफी, शाम को पाप। फिर प्रार्थना, फिर गुनाहों के लिए माफ़ी। #काफि...

Sant Rampal Ji History

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Who is saint rampal ji maharaj संत रामपाल जी का जन्म 8 सितम्बर 1951 को गांव धनाना जिला सोनीपत हरियाणा में एक किसान परिवार में हुआ। पढ़ाई पूरी करके हरियाणा प्रांत में सिंचाई विभाग में जूनियर इंजिनियर की पोस्ट पर 18 वर्ष कार्यरत रहे। सन् 1988 में परम संत रामदेवानंद जी से दीक्षा प्राप्त की तथा तन-मन से सक्रिय होकर स्वामी रामदेवानंद जी द्वारा बताए भक्ति मार्ग से साधना की तथा परमात्मा का साक्षात्कार किया। संत रामपाल जी को नाम दीक्षा 17 फरवरी 1988 को फाल्गुन महीने की अमावस्या को रात्राी में प्राप्त हुई। उस समय संत रामपाल जी महाराज की आयु 37 वर्ष थी। उपदेश दिवस (दीक्षा दिवस) को संतमत में उपदेशी भक्त का आध्यात्मिक जन्मदिन माना जाता है। उपरोक्त विवरण श्री नास्त्रोदमस जी की उस भविष्यवाणी से पूर्ण मेल खाता है जो पृष्ठ संख्या 44.45 पर लिखी है। ”जिस समय उस तत्वदृष्टा शायरन का आध्यात्मिक जन्म होगा उस दिन अंधेरी अमावस्या होगी। उस समय उस विश्व नेता की आयु 16, 20, 25 वर्ष नहीं होगी, वह तरुण नहीं होगा, बल्कि वह प्रौढ़ होगा और वह 50 और 60 वर्ष के बीच की उम्र में संसार में प्रसिद्ध होगा। वह सन् 2006 होगा।...

नवरात्रि पूजा

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नवरात्रि   हिंदुओं  का एक प्रमुख पर्व है। नवरात्रि शब्द एक  संस्कृत  शब्द है, जिसका अर्थ होता है 'नौ रातें'। इन नौ रातों और दस दिनों के दौरान, शक्ति / देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है। दसवाँ दिन  दशहरा  के नाम से प्रसिद्ध है। नवरात्रि वर्ष में चार बार आता है।  पौष ,  चैत्र ,  आषाढ , अश्विन  मास में  प्रतिपदा  से  नवमी  तक मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ रातों में तीन देवियों -  महालक्ष्मी , महासरस्वती या  सरस्वती  और  दुर्गा  के नौ स्वरुपों की पूजा होती है जिनके नाम और स्थान क्रमशः इस प्रकार है नंदा देवी(विंध्यवासिनी), रक्तदंतिका,शाकम्भरी(सहारनपुर), दुर्गा,भीमा(पिंजौर) और भ्रामरी(भ्रमराम्बा)  नवदुर्गा  कहते हैं। नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे  भारत  में महान उत्साह के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि  भारत  के विभिन्न भागों में अलग ढंग से मनायी जाती है।  गुजरात  में इस त्योहार को बड़े पैमाने से मनाया जाता है।  गुजरात ...